Monday 6 April 2020

गीत लिखने के कुछ नियम : संजय कौशिक 'विज्ञात'


गीत लिखने के कुछ नियम :-

काव्य विधाओं में सबसे आकर्षक विधा गीत कहलाती है, गीत की संगीत के साथ सस्वर प्रस्तुति श्रोता के कर्णमार्ग से हृदय पर सरलता से अंकित हो जाती है। संगीतबद्ध गीत आकर्षक होता है और मंत्रमुग्ध कर देने वाले राग से सुसज्जित हो तो गीत का अपना ही आकर्षण होता है।
स्वर और लय-ताल बद्ध शब्दों को गीत कहते हैं। गीत में दो प्रकार के शब्द प्रयोग में लाए जाते हैं। एक सार्थक जैसे साग , राग जिनका कोई न कोई अर्थ होता है। और दूसरे निरर्थक जैसे वाग, ताग, खाग, इत्यादि का कोई अर्थ नहीं होता है।

आधुनिक काल में गीत के कई प्रकार हैं जो बहुत प्रचलित है। जैसे ध्रुपद, धमाल, ख्याल, ठुमरी, टप्पा, तराना, चतुरंग, लक्षण गीत, भजन, कव्वाली, दादरा, सरगम या स्वर मालिका आदि। स्वर, पद और ताल से युक्त जो गान होता है वह गीत कहलाता है।
अब इस चर्चा को यहीं विराम देते हुए गीत के प्रारूप पर ध्यान केंद्रित कर बताना चाहूँगा कि एक गीत में मुखड़ा/ स्थाई/ टेक होती है जो लगभग 2 चरण से 5 चरण कई बार 8 चरण में भी लिखा जाता है। जबकि सामान्यतः 2 चरण या 4 चरण अधिकांशतः देखा जाता है।
मुखड़े / स्थाई/ टेक के पश्चात इसमें अंतरा/कली लिखे जाते हैं यह भी 4 चरण से 8 या 10 चरण तक हो सकते हैं।
अन्तरा / कली के अंत में पूरक पंक्ति/ तोड़ का प्रयोग किया जाता है। जो मुखड़ा/ स्थाई/ टेक के समान तुकांत जैसा ही होता है यह अंतरा/ कली के तुकांत/समतुकांत से पृथक होता है इसे अंत में प्रयोग किया जाता है।

इस प्रकार गीत का प्रारूप बनता है। गीत को भी बिम्ब के माध्यम से लिखा जाता है इसमें भी प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग अनेक बार देखा जाता है पर अधिकांशतः गीत में प्रतीकात्मक शैली और बिम्ब का आभाव होता है, साधारण शब्दों में गीत सपाट कथन की परम्परा को निभाता है यह सभी रसों में लिखा जाता है गीत में भावपूर्ण प्रस्तुति होती है। गीत एक विषय पर केंद्रित हो सकता है और समसामयिक विषय हो सकते हैं। गीत अद्भुत शब्द शक्ति (वाचक, व्यंजक और लक्षण) से सुसज्जित होते हैं। गीत को अतिरिक्त व्याख्यान से बचाना आवश्यक होता है। और 2 से 4 अन्तरे श्रेष्ठ और अच्छे गीत की पहचान होते हैं।
सामान्यतः गीत की भाषा पर भी हल्का सा प्रकाश डाल देना आवश्यक समझता हूँ। हम जिस भाषा में गीत लिख रहे हैं अंत तक उसी का निर्वहन करेंगे तो उत्तम भाषा का गीत होगा। अन्यथा अन्य भाषा के शब्द मिला कर अपनी भाषा को खिचड़ी भाषा बनाने से नहीं रोक पायेंगे। इस लिए अन्य भाषा के शब्द प्रयोग से बचना चाहिये। कुलमिलाकर कहने का अभिप्राय यह है कि *एक गीत एक भाषा*।
गीत में सार्वभौमिक सत्य प्रमाणिक तथ्य जो हैं वही रहेंगे उनमें बदलाव नहीं किया जा सकता। सामयिक विषय के साथ-साथ सामाजिक बिषय भी गीत का विषय हो सकते हैं वह आपके भाव रस पर भी निर्भर करता है। गीत के प्रारूप को इस गीत के माध्यम से समझते हैं
         ◆ संजय कौशिक 'विज्ञात'

उदाहरण स्वरूप चार चरण तुकांत समानान्त के एक गीत को ले रहा हूँ पाठक इसे पढ़ कर सरलता से समझेंगे और लिखेंगे 
सर्वप्रथम गीत का 

*मुखड़ा/स्थाई/टेक देखें दो पंक्ति में ...*

हमारे गीत जीवन में हमें कहना सिखाते हैं 
लिखें जिस मौन को ताकत वही अनुपम बनाते हैं 

1 *अंतरा/कली जितनी पंक्ति लिखेंगे अंतरा कली में सबके तुकान्त समानांत रहेंगे।*
1
दिखाई दृश्य पर कहदें निखर के बिम्ब बोलेंगे
सृजन की हर विधा के ये अलग ही भेद खोलेंगे 
मगर नवगीत की सुनलो बिना ये बिम्ब डोलेंगे
अलंकारित छटा बिखरे बनाकर गूंज तोलेंगे 

*पूरक पंक्ति/ तोड़ ... इस पंक्ति का तुक मुखड़ा/स्थाई/टेक के समान आयेगा*

सदा प्रेरित करेंगे ये जहाँ सोते जगाते हैं।

*मुखड़ा/स्थाई/टेक दोहराव होता है*

हमारे गीत जीवन में हमें कहना सिखाते हैं 

2 *अंतरा/कली जितनी पंक्ति लिखेंगे अंतरा/कली में सबके तुकान्त समानांत रहेंगे।*
2
प्रकृति की गोद में रख सिर यहाँ से सीख जायेंगे।
सभी ऋतुएं दमक उठती मयूरा उर नचायेंगे।
कभी तो सिंधु सा स्वर ले लहर के साथ गायेंगे।
उतर के भूमि पर तारे बड़े ही खिलखिलायेंगे।

*पूरक पंक्ति/ तोड़ ... इस पंक्ति का तुक मुखड़ा/स्थाई/टेक के समान आयेगा*

महकती है तिमिर में जो चमक जुगनू दिखाते हैं 

*मुखड़ा/स्थाई/टेक दोहराव होता है*

हमारे गीत जीवन में हमें कहना सिखाते हैं 

                *संजय कौशिक 'विज्ञात'*

@विज्ञात_की_कलम

27 comments:

  1. बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी। बहुत बहुत आभार आपका...कई शंकाओं का समाधान हो गया अन्यथा गीत,नवगीत और तुकांत कविता का भेद जल्द समझ नही आता। नवांकुरों के लिए यह पोस्ट निश्चित ही फायदेमंद है 🙏🙏🙏 सादर नमन 🙏🙏🙏

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  2. बहुत सुंदर ज्ञान वर्धक जानकारी दी आपने बहुत सारी शंकाओं का समाधान भी अच्छा रहा बस ऐसे ही बीच बीच मिलता रहे शुक्रिया बहुत सुन्दर

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीया पूनम दुबे 'वीणा' जी इस सुंदर प्रतिक्रिया द्वारा उत्साहवर्धन करने के लिए 🙏🙏🙏

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  3. बहुत सुन्दर जानकारी । अच्छे से समझाया आपने उदाहरण से । धन्यवाद ।

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    1. आदरणीया अनिता मंदिलवार 'सपना' जी बहुत बहुत शुक्रिया 🙏🙏🙏 आपकी प्रतिक्रिया हमेशा ही और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करती है 🙏🙏🙏

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  4. बहुत ही अच्छी जानकारी के साथ सार्थक पोस्ट आदरणीय सर
    सादर

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    1. धन्यवाद अनिता सैनी 'दिप्ती' जी आपको लेख पसंद आया लेखन सार्थक हुआ .....आभार 🙏🙏🙏

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  5. सर्वप्रथम हार्दिक आभार आदरणीय .🙏🙏.इतने सरल शब्दों में गीत विधा का वर्णन करने और साथ ही साथ एक सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत कर सभी समस्याओं का समाधान करने लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया।आप का लेख हम जैसे नवांकुरों की लेखनी को मार्गदर्शन तो प्रदान करता ही है साथ ही साथ प्रोत्साहित भी करता है उत्तम सृजन के लिए 🙏🙏🙏🙏🙏

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    1. विज्ञात नवगीत माला में आने के लिए आपका स्वागत है आदरणीया पूजा शर्मा 'सुगंध' जी 💐💐💐 आपने लेख को पढ़ा और उसकी सराहना भी की उसके लिए हृदयतल से आभार 🙏🙏🙏

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  6. बहुत बहुत आभार आदरणीय!
    सूक्ष्म और उपयोगी जानकारी। गीत के बारे में अज्ञानता दूर करेगी और एक श्रेष्ठ गीत रचने में सहायक और मार्ग दर्शक बनेगी ।

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    1. आदरणीया कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा' जी आपकी प्रतिक्रिया हमेशा ही हमारा उत्साहवर्धन करती है 💐💐💐 आपकी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए आभार 🙏🙏🙏

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  7. बेहद उपयोगी जानकारी दी आपने!हार्दिक आभार आदरणीय।

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    1. ब्लॉग पर आने के लिए आभार सुधी जी 🙏🙏🙏

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  8. बहुत ही सुन्दर ज्ञानवर्धक जानकारी उदाहरणार्थ लाजवाब गीतं।
    वाह!!!

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    1. धन्यवाद सुधा जी 🙏🙏🙏

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  9. बहुत ही सुन्दर उपयोगी जानकारी दी गुरु देव

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    1. बहुत बहुत आभार चमेली जी 🙏

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  10. बहुत उपयोगी एवं सारगर्भित जानकारी दी आदरणीय!🌷🙏🌷
    अनीता सिंह अनित्या

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    1. आभार अनित्या जी 🙏🙏🙏

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  11. बहुत सुंदर एवं उपयोगी जानकारी मिली आपके लेख से। गीय लिखने में बहुत मदद मिलेगी।‌

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय 🙏

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    2. सही और सटीक जानकारी

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  12. बहुत उत्तम जानकारी

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  13. सार्थक एवं सारवान जानकारी के लिए धन्यवाद आदरणीय

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  14. अति उत्तम जानकारी आदरणीय गुरुदेव जी बहुत कुछ सीखने के लिए मिल रहा है धन्यवाद आपका 🙏🙏

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  15. बहुत बढ़िया मार्गदर्शन आदरणीय गुरु जी

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  16. सारगर्भित लेख बहुत ही उत्कृष्ट सीखने वालो के लिए एक सटीक लेख

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